
VVPAT और EVM CASE :- सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि वह सिर्फ इसलिए चुनावों को कंट्रोल नहीं कर सकते या निर्देश जारी नहीं कर सकते, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के बारे में संदेह किया गया है। कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। दावा किया गया है याचिका में परिणामों में हेरफेर करने के लिए मतदान उपकरणों के साथ छेड़छाड़ किया जा सकती है। कोर्ट ने ये कहा कि वो वोटिंग मशीनों पर संदेह करने वालों और बैलेट पेपर के जरिए वापस चुनाव कराए जाने की जाने की वकालत किये जाने वालों की विचार प्रक्रिया को नहीं बदल सकते हैं।
बुधवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के डेटा से वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों का 100 फीसदी मिलान की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। कोर्ट ने कहा तकनीक से जुड़े चार- पांच और बिंदुओं पर जानकारी लेने के बाद दूसरी बार फैसला सुरक्षित रख लिया। यानी की अब फैसले शुरू हो गया है उम्मीद करते है कि चुनाव खत्म होने से पहले फैसला आ जायेगा। SC में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने साफ कहा है कि हम चुनावों को कंट्रोल नहीं कर सकते हैं. कोर्ट ने ये भी कहना था कि हम किसी अन्य संवैधानिक अथॉरिटी के कामकाज को कंट्रोल नहीं कर सकते हैं।कोर्ट ने कहा चुनाव आयोग ने हमारे संदेह को दूर कर दिया हैं। हम आपकी विचार प्रक्रिया को नहीं बदल सकते और कोर्ट ने कहा संदेह के आधार पर आदेश जारी नहीं कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने इन 4सवालों पर जवाब मांगा है :- पहला सवाल है की कंट्रोल यूनिट या वीवीपैट में क्या माइक्रो कंट्रोलर स्थापित है। ,दूसरा सवाल है की माइक्रो कंट्रोलर क्या क्या एक ही बार प्रोग्राम करने योग्य है । ,तीसरा सवाल है की EVM में सिंबल लोडिंग यूनिट्स कितने उपलब्ध हैं। ,चौथा सवाल है की चुनाव याचिकाओं की सीमा 30 दिन है और इसलिए ईवीएम में डेटा 45 दिनों के लिए संग्रहीत किया जाता है. एक्ट में इसे सुरक्षित रखने की सीमा 45 दिन है. क्या स्टोरेज की अवधि बढ़ानी पड़ सकती है ? इन 4सवाल के मांगे जवाब।