छठ पूजा 2025 : नहाय-खाय से शुरू हुआ आस्था और पवित्रता का पर्व

आज छठ पूजा का शुभारंभ नहाय-खाय के साथ अत्यंत हर्ष और उल्लास के वातावरण में हो गया है।
छठ पूजा को सनातन धर्म में बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस पर्व में स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। छठ पूजा को पूरी नियम-निष्ठा और श्रद्धा के साथ संपन्न किया जाता है।

छठ महापर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है। इस दिन से ही नहाय-खाय के साथ व्रत की शुरुआत होती है।

आज 25 अक्टूबर 2025 (शनिवार) को नहाय-खाय के साथ छठ पूजा प्रारंभ हो गई है।
कल अर्थात 26 अक्टूबर 2025 (रविवार) को पंचमी तिथि पर खरना,
27 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को षष्ठी तिथि पर डूबते सूर्य को अर्घ्य,
और 28 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) को सप्तमी तिथि पर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न किया जाएगा।

इस दिन सूर्य देव और छठी मइया की पूजा-अर्चना की जाती है।
नहाय-खाय के दिन प्रातः व्रती महिलाएं जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करती हैं, स्नान कर पवित्रता के साथ भोजन तैयार करती हैं। इस दिन के भोजन में चावल, चने की दाल और लौकी (कद्दू) की सब्जी बनाई जाती है। यह भोजन लहसुन और प्याज के बिना तैयार किया जाता है। कई स्थानों पर कार्तिक मास के आरंभ से ही लहसुन-प्याज का सेवन नहीं किया जाता।

हिंदू मान्यता के अनुसार लौकी को अत्यंत पवित्र माना गया है। इसके अलावा भोजन में केवल सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है।
भोजन तैयार होने के बाद पहले व्रती स्वयं भोजन करती हैं, उसके पश्चात परिवार के अन्य सदस्य भोजन करते हैं।

छठ पूजा में चढ़ाए जाने वाले विशेष प्रसाद ‘ठेकुआ’ का अपना विशेष महत्व है। ठेकुआ बनाने के लिए गेहूं के अनाज को धोकर अच्छी तरह सुखाया जाता है। साथ ही अरवा चावल को भी धोकर धूप में सुखाया जाता है। सुखाते समय ध्यान रखा जाता है कि कोई पक्षी या बच्चा उन अनाजों को न छुए, ताकि वे पूर्ण रूप से पवित्र बने रहें।

नहाय-खाय के बाद छठ पूजा में ‘खरना’ का अत्यंत महत्व होता है। यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। खरना को कई स्थानों पर ‘लोहंडा’ भी कहा जाता है।

खरना के दिन व्रती महिलाएं प्रातः स्नान-ध्यान कर दिनभर उपवास रखती हैं। शाम को पूजा के लिए गुड़ से बनी खीर (जिसे रसिया कहा जाता है) और आटे की रोटी (या सुहारी) तैयार की जाती है। यह प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से बनाया जाता है।
शहरी क्षेत्रों में कुछ लोग इसे नए गैस चूल्हे पर भी बनाते हैं, परंतु यह ध्यान रखा जाता है कि चूल्हा नया और पूर्ण रूप से शुद्ध हो।

प्रसाद बनने के बाद व्रती पूजा करती हैं और फिर प्रसाद ग्रहण करती हैं। प्रसाद ग्रहण करते समय घर के सभी सदस्यों को शांत रहना आवश्यक होता है।
ऐसा माना जाता है कि यदि प्रसाद ग्रहण करते समय कोई शोर हो जाए, तो व्रती भोजन करना बंद कर देती हैं।
व्रती द्वारा प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही घर के अन्य सदस्यों को प्रसाद दिया जाता है। कुछ स्थानों पर प्रसाद अगले दिन वितरित करने की परंपरा भी है।

छठ पूजा का मुख्य प्रसाद – ठेकुआ होता है, जिसे आटा, गुड़ और घी से तैयार किया जाता है। इसके अतिरिक्त चावल के आटे के लड्डू भी प्रसाद के रूप में बनाए जाते हैं।


🪔 छठ पूजा सामग्री सूची

  • केला 🍌

  • पानी वाला नारियल 🥥

  • डाभ (कच्चा नारियल)

  • नींबू 🍋

  • गन्ना

  • हल्दी की गाँठ और अदरक का पौधा

  • अक्षत (चावल)

  • पीला सिंदूर

  • दीपक, घी और बाती

  • कुमकुम, चंदन

  • कपूर, धूपबत्ती, अगरबत्ती, माचिस

  • फूल और फल

  • हरे पान के पत्ते

  • साबुत सुपारी

  • शहद 🍯

  • पत्तों वाली मूली, शकरकंदी और सुथनी

  • बांस की टोकरियाँ और सुप (या पीतल का सुप)

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