करो योग रहो निरोग

वास्तव में स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। यहाँ स्वस्थ मस्तिष्क से हमारा तात्पर्य अच्छे मन और अच्छी बुद्धि पाने का सबसे सरल उपाय है नियमित योग करना चाहिए।

हमें योग ( व्यायाम ) नित्य करना चाहिए और उतना ही करना चाहिए ,जितना शरीर सरलता से सहन कर ले। इस बात का ध्यान रखना चाहिए की मन ऊबे नहीं ,तन थके नहीं और बेचैनी न हो।

योग ( व्यायाम ) करने से शरीर स्वस्थ रहता है। मन प्रसन्न होता है । शरीर में हमेशा चुस्ती -फुर्ती बानी रहती है। पढ़ने में मन लगता है। थकावट महसूस नहीं होती। आलस्य हमारे पास नहीं आता है।शरीर निरोग रहता है। भोजन ठीक से पच पाता है और रत को अच्छी नींद भी आती है।

योग ( व्यायाम ) करने से पूर्व हमेशा निम्नलिखित बातें याद रखनी चाहिए : –
योग ( व्यायाम ) हमेशा प्रातः अथवा सायं काल में ही करना अच्छा माना गया है
योग ( व्यायाम ) हमेशा खुले हवादार स्थान पर करना चाहिए।
गंदे ,घुटन भरे ,बंद कमरे या स्थान पर व्यायाम करने से लाभ की जगह हानि उठानी पड़ सकती है।
योग ( व्यायाम ) के लिए पार्क ,बाग-बगीचे ,हरे -भरे मैदान आदि अच्छे स्थान मने गए हैं। अतएव ऐसे ही स्थानों का चयन करें।
योग ज़मीन पर दरी ,चटाई , आदि बिछाकर ही करें।
ध्यान रखें : – कोई भी यौगिक क्रियाएँ ( योग / व्यायाम ) परिवार के किसी बड़े व्यक्ति अथवा किसी योग शिक्षक की देख -रेख में ही करें।
योग ( व्यायाम ) करने से एक घंटा पहले कुछ न खाएँ -पिएँ। 5 साल यानि छोटे बचो के अनुसार निचे कुछ योग ( व्यायाम ) के आसन दिए
गए हैं। बच्चे इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़ें,समझें और उसके बाद करने का प्रयास करें। ये आसन का नाम है नौका आसन और वज्र आसन
नौका आसन की विधि :- छाती के बल लेटकर दोनों पैरों को एड़ी-पंजो सहित निचे और दोनों हाथों को सिर से ऊपर सामने की और जोड़ते हैं। उसके बाद बाजू कान से चिपके रहें और पैर के पंजे निचे की ओर खींचे रहें। फिर अंदर साँस भरने के बाद पैर और हाथ ऊपर की ओर उठाते हैं। नजर हाथों पर ज़मी रहे। कुछ समय रुकने के बाद धीरे -धीरे वापस आएं और आराम करें।
1 छाती के बल लेटें। २ दोनों पंजे -एड़ी को आपस में जोड़ें। हाथ जँघा के बराबर में मिले रहें। ३ हाथों को सिर के ऊपर सामने जोड़ें और पैरों को निचे जोड़ें। हाथ और पैर खींचे रहें। कान बाजू पर चिपके रहें। अंदर साँस भरने के साथ हाथ और पैर ऊपर उठएं। नजर हथेली पर जमी रहे।
नौका आसन का समय :-इस आसन को पूर्ण स्थिति में कम -से -कम एक मिनट रुकना का प्रयास चाहिए।
नौका आसन का लाभ :- इस आसन का अभ्यास करने से पेट की बिमारियाँ दूर होती हैं। पेट की ज्वाला बढ़ती है। रीढ़ की कठोरता और दर्द का नस होता है रक्त के संचार में वृद्घि होती है पेट की चर्बी घटने लगती है। अच्छा अभ्यास होने पर मधुमेह की बीमारी का नाश होता है।
नौका आसन सावधानी : –आँतो के घातक रोग ; जैसे -पेप्टिक अल्सर , हर्निया ,टीबी इत्यादि में यह आसन नहीं करना चाहिए।

वज्र आसन की विधि :- पैर सामने फैलाकर आराम की स्थिति में बैठें ,उसके बाद बायाँ पैर घुटने से मोड़ते हुए नितब के निचे तलवे ऊपर की ओर करके बैठें। इसी प्रकार दाहिने पैर को मोड़ते हुए रखें । पैर की एड़ियाँ खुली रहेंगी और पंजे जुड़े रहेंगे तथा पैर के अँगूठें एक -दूसरे के ऊपर रहेंगे। हाथों को घुटनों पर व् रीढ़ को सीधा रखेंगे।

१ पैर को सामने फैलाकर आराम की स्थिति में बैठें ।
२ दोनों पाँव बारी -बारी से घुटनों से मोड़कर नितंब के निचे रखें तथा पंजो के अँगूठें एक- दूसरे के ऊपर रखें।
३ हाथ घुटने पर रखें।
वज्र आसन का समय : – पंद्रह मिनट से तीन घंटे तीस मिनट तक रख सकते हैं।

 

वज्र आसन के लाभ :-इस आसनको भोजन के तुरंत बाद भी किया जा सकता है। इसमें नाड़ियों पर दबाव बढ़ने से पाचन -तंत्र मजबूत होता है और भोजन जल्दी पचने लगता है। शरीर वज्र( पत्थर)के समान मज़बूत बनता है। वायु रोग नष्ट हो जाते हैं। प्रारम्भिक ध्यान के अभ्यास में यह आसान उत्तम है। पैरों की गोलाई बढ़ाने के लिए भी उत्तम आसान है।

वज्र आसन में सावधानी : – कठोर जोड़ वाले व्यक्तियो को यह आसन धीरे -धीरे सावधानीपूर्वक करना चाहिए।

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