भागलपुर के बारे में क्या ख़ास है और उसका इतिहास

भागलपुर :-भागलपुर एक जिला है जो बिहार राज्य में है। भागलपुर बिहार राज्य के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित है। यह बिहार राज्य के सबसे पुराना जिला है। भागलपुर गंगा बेसिन के समुद्र तल से 141 फुट ऊपर स्थित है। यह शहर 2569 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। भागलपुर जिला बिहार के मुंगेर, मधेपुरा, कटिहार ,पूर्णिया, खगड़िया और बांका जिलों तथा झारखण्ड के साहबगंज और गोड्डा जिलों से भी घिरा है।

भागलपुर जिला में कुल तीन अनुमंडल है। अनुमंडल के नाम भागलपुर सदर, कहलगांव तथा नवगछिया| है। जनसंख्या की बात करे 2011 जनगणना के अनुसार भागलपुर जिले की कुल आबादी 3,037,766 है।भागलपुर जिले में 16 प्रखंड है।

महाभारत और पुराणों में इस जिले को अंग प्रदेश का हिस्सा माना गया है। भागलपुर के नजदीक में चम्पानगर है जो महान पराक्रमी शूरवीर कर्ण की राजधानी भी कहा जाता है। यह बिहार राज्य के मैदानी क्षेत्र का आखिरी सिरा है। यह बिहार और झारखंड के कैमूर की पहाड़ी का मिलन स्थल भी है। भागलपुर को रेशम का शहर भी कहा जाता है।

भागलपुर सिल्क के व्यापार के लिये विश्व में प्रसिद्ध जिला है, तसर सिल्क यानि कोसा सिल्क का उत्पादन अभी भी कई परिवारों के लिए रोजी रोटी का श्रोत है। वर्तमान समय में भागलपुर जिले हिन्दू -मुश्लिम दंगों और अपराध की वजह से सुर्खियों में भी रहा है। यहाँ एक हवाई अड्डा भी है जो अभी चालू नहीं हुआ है काम चल रहा है । भागलपुर का नजदीकी हवाई अड्डा पटना और गया है। रेल और सड़क मार्ग से भी भागलपुर शहर अच्छी तरह से जुड़ा है।
बिहार राज्य में प्राचीन काल के तीन प्रमुख विश्‍वविद्याल है , जैसे तक्षशिला, विक्रमशिला और नालन्‍दा में से एक विश्‍वविद्यालय भागलपुर में ही है जिसे विक्रमशिला के नाम से जानते हैं।

पुराणों में वर्णन किया गया समुद्र मंथन में मंदराचल तथा मथानी में लपेटने के लिए जो रस्‍सा उपयोग किया गया था वह दोनों ही उपकरण यहाँ विद्यमान हैं जो आज तीर्थस्‍थ‍लों के रूप में है जैसे बासुकीनाथ और मंदार पर्वत। भागलपुर जिले में तीर्थ स्थल है जिसे अजगैवी नाथ कहा जाता है।यहाँ पवित्र् गंगा नदी बहती है जिसे जाह्नवी के नाम से भी जाना जाता है।

भागलपुर तीन अनुमंडल कौन-कौन से प्रखंड :-भागलपुर सदर अनुमंडल – जगदीशपुर, गोरडीह, सबौर, नाथनगर, शाहकुंड, सुल्तानगंज प्रखंड है।
नवगछिया अनुमंडल – बिहपुर, इसमाइलपुर, खरीक, नारायणपुर, नवगछिया, रंगर चौक , गोपालपुर प्रखंड है।
कहलगांव अनुमंडल – पिरपैंती, कहलगांव, सनहोला प्रखंड है

भागलपुर में घूमने की जगह :-बुरहानाथ मंदिर ,मां काली मंदिर, अजगईविनाथ धाम, गुरान शाह पीर बाबा की दरगाह , महर्षि मेंही आश्रम , खानगाह – ए – शाहबजिया ,घंटा घर ,कहलगांव द्वीप ,विक्रमशिला सेतु

भागलपुर का इतिहास :- बीते वर्षो में भागलपुर भारत के दस बेहतरीन शहरों में से एक था। अभी का भागलपुर को सिल्‍क नगरी के रूप में भी जानते थे । इसका इतिहास बहुत वर्ष पुराना है। भागलपुर को 5वीं शताब्दी में चंपावती के नाम से भी जानते थे । यह वह समय था जब गंगा के मैदानी क्षेत्रों में भारतीय सम्राटों का प्राधान्य बढ़ रहा था। अंग 16 महाजनपदों में से एक है जिसकी राजधानी चंपावती थी।

अंग महाजनपद को पुराने समय में मलिनी, चम्‍पा मलिनी, कला मलिनी ,चम्‍पापुरी आदि के नाम से भी जानते थे ।भागलपुर जिला मुग़ल काल में दक्षिणी-पूर्वी सूबे का हिस्सा था. वर्तमान मुंगेर जिला भागलपुर जिला का ही एक क्षेत्र था, जिसे 1832 ई. में विभाजित कर दिया गया था. 1991 ई. में इस जिले को पुनः विभाजित कर बांका जिले का गठन किया गया था।पुराणों और महाकाव्यों में संरक्षित परंपराओं के मुताबिक मनु के पोते, अनु की संतान ने पूर्व में अनावा राज्य की स्थापना किया था।

उनके बाद यह रजा बलि के पांच बेटों में विभाजित किया गया था जिसे में बंगा,अंग कलिंग, सुधा और पुंडिया के रूप में जाना जाता था | अंग के राजाओ में जिनके बारे में कुछ विषय कहा गया है लोमोपाडा अयोध्या के राजा दशरथ के समकालीन और उनके मित्र भी थे। अंग का पोता चंपा था, जिसके नाम पर ही अंग की राजधानी चंपा के नाम से जानी जाती थी |

चंपा के पूर्व अंग की राजधानी मालिनी थी मगध औरअंग का उल्लेख अथर्ववेद संग्रह वैदिक साहित्य में देखा गया है| बौध धर्म-ग्रंथों में उत्तरी भारत के विभिन्न राज्यों के साथ अंग का भी उल्लेख किया गया था। | अंग के राजा ब्रह्मदत्ता ने मगध के राजा भट्टिया को पराजित किया था लेकिन उत्तरार्ध में बिम्बिसार 545 ईस्वी में अपने पिता की हार का बदला लिया था और अंग को अपने कब्जे में ले लिया था। मगध के राजा अजातशत्रु ने अपनी राजधानी को चंपा में स्थानांतरित कर दिया था।

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