हरतालिका तीज 2025 :- आईये जाने इस वर्ष हरतालिका तीज कब है।

हरतालिका तीज 2025

आप जानते ही होंगे की हरतालिका तीज भाद्रपद मास के तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष भाद्रपद मास के तृतीया तिथि की शुरवात हिंदू पंचांग के अनुसार 25 अगस्त 2025 को 12 बजकर 34 मिनट से 26 अगस्त 2025 को 1 बजकर 54 मिनट पर समापत हो जाएगी। उदय तिथि के मुताबिक इस वर्ष हरतालिका तीज 26 अगस्त को मनाई जाएगी जो की दिन मंगलवार को पड़ता है। मंगलवार को व्रत रखा जायेगा और दिन सोमवार को 25 अगस्त को नाहा खाय है। हिन्दू धर्म में हरतालिका तीज को बहुत ही धूम धाम से मनाते है। हरतालिका तीज आज से आठ दिन बाद शुक्रवार को है।

हरतालिका तीज को सुहागिन महिला अपने पति की लम्बी आयु के लिए रखती है और सुहागिनों के लिए यह त्यौहार खास होता है। इस व्रत सुहागिन महिला और कुंवारी लड़किया भी रखती हैं। कहा जाता है की हरतालिका तीज को कुंवारी लड़किया रखती है तो मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। इस व्रत को महिलायें निर्जला उपवास करती है। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा पुरे विधि विधान से किया जाता है। हरतालिका तीज को मध्य प्रदेश , उत्तरप्रदेश, बिहार और झारखण्ड में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस व्रत में महयिलाये पूजा करने केलिए भगवन शिव माता पार्वती और साथ में गणेश की मूर्ति मिट्टी या रेत बनती हैं और इसकी विधिवत पूजा करती हैं .

पूजा सामग्री :- कलश , नारयल, गंगाजल ,सुपारी ,अक्षत का चावल ,सिंदूर चंदन ,कलावा ,पान का पता,कपूर ,धतूरा ,घी ,शहद ,जनेऊ ,धुप ,दीप ,बेलपत्र ,कपूर दूर्वा ,पांच तरह का फल ,सिंगार का सामान। सिंगार का सामान में चूड़ी ,सिंदूर ,महेंदी ,महावर ,बिंदी, कंघी,सीसा यानि छोटा आईना ,काजल आदि।

पूजा विधि :- महिलायें इस व्रत में एक दिन पहले नहाय खाय करती है। दूसरे दिन व्रत रखती हैं इस व्रत को निर्जला रखती है और व्रत के दिन नाहा धोकर वर्ती अपने पति की लम्बी आयु के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा पुरे विधि विधान से करती। महिलायें नहाने के बाद नए वस्त्र पहनती है। इस व्रत में काले वस्त्र नहीं पहनी जाती है और 16 सिंगार करके पूजा करती है। पूजा करने केलिए भगवन शिव माता पार्वती और साथ में गणेश की मूर्ति मिट्टी या रेत बनती हैं चौकी पर साफ कपड़े विछाये लाल या पिले रंग की इस चौकी पर मिट्टी या रेत से बनी मूर्ति को स्थापित करके। विधिवत पूजा करे सबसे पहले थाली सजाये थाली दो सजाई जाती है दोनों में फल और सिंगार का सामान रखे। पूजा के समापन होने के बाद दूसरे दिन एक थाली को पंडितजी को दान किया जाता हैं एक खुद के पास रखा जाता कई जगहों पर एक ही थाली सजाई जाती है। सबसे पहले गणेशजी की पूजा करें उसके बाद भगवन शिव माता पार्वती की पूजा विधि विधान से करें।पूजा में माता को 16 सिंगार को अर्पित करें और पूजा केबाद कथा को सुनें।

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